मन जब बच्चा होता है तो सांसारिक चमक-दमक की ओर दौड़ता हैं - मन की शक्ति - socialwelbeing.in - SocialWelBeing
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मन जब बच्चा होता है तो सांसारिक चमक-दमक की ओर दौड़ता हैं - मन की शक्ति - socialwelbeing.in

मन जब बच्चा होता है तो सांसारिक चमक-दमक की ओर दौड़ता हैं - मन की शक्ति - socialwelbeing.in

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जीवन का वास्तविक आकर्षण तो ईश्वर की रची सृष्टि में है। मन की शक्ति परमात्मा की कृपा से प्राप्त होती है। यह समय है मन की शक्ति को पहचानने का...

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मन की शक्ति..!!


परमात्मा के मार्ग पर चलकर प्राप्त करे मन की शक्ति..!!

मन की शक्ति परमात्मा की कृपा से प्राप्त होती है। यह समय है मन की शक्ति को पहचानने का, उसे प्राप्त करने का। मन जब बच्चा होता है तो सांसारिक चमक-दमक की ओर दौड़ता हैं। किंतु किशोरावस्था आते ही वह स्थिर हो जाता है और अंतर्दृष्टि की धुंधलकता छंटने लगती है, मनुष्य को चमक-दमक की बजाय जीवन का वास्तविक सच दिखने लगता है।

जीवन का वास्तविक आकर्षण तो ईश्वर की रची सृष्टि में है। आज जब मनुष्य बाहर के रचित रंगों, रसों को भोगने के अवसर से सीमित हो गया हैं, तो ईश्वर और सृष्टि की निकटता का सुयोग बना रहा है।

आज बंद घर की खिड़की दरवाज़े खोलकर मन की आंखों से ईश्वर की बनाई सृष्टि का सौंदर्य देखने का समय है, जो सामान्य जीवन में निकट होते हुए भी उपेक्षित रहता हैं। आज जब हमारा मन स्थिर हैं तो नित्य प्रातः उगने वाला सूर्य भी हमें अधिक आकर्षक लगने लगा हैं। 

स्थिर मन से आनंद की अनुभूति हमेशा ही अद्भुत होती है जिससे हम संसार की भागदौड़ में वंचित रह जाते हैं। शायद यही कारण है कि हमारा जीवन सदा दुविधाओं और संकट में झूलता रहता है, और अज्ञानतावश हम इसे ही जीवन का ढंग मान लेते हैं। हम यह नहीं समझते कि परमात्मा ने हमें जो मानव जीवन दिया वह हमारे पुण्य कर्मों का फल है। 

जो ईश्वर हमारा पिता है वह हमें कैसे दुख, संताप में देख सकता है। हमारे दुख हमारे अपनी ही भूल और गलत कर्मों के कारण हैं। हमने अपना सारा ध्यान धन, संपदा, रुतबे, भौतिक सुख सुविधाओं से जगमग संसार पर केंद्रित कर लिया, जो हमारे दुखों की असल वजह है।

हमें यह समझना चाहिए, कि धन, संपदा, रुतबे, भौतिक सुख सुविधाओं के अतिरिक्त भी बहुत कुछ है जो हमारे जीवन को आनंद से भर सकते हैं। दुख और मृत्यु तो जीवन के अटल सत्य हैं। जिन्हें टाला नहीं जा सकता। 

किंतु परमात्मा के बनाए मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बनाना हमारे वश में हैं। क्योंकि परमात्मा जब कृपा करता है तो हमें हमारे हर दुख को सहने और मृत्यु से निर्भय होने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।

निष्कर्ष:
प्रकृति परिवर्तनशील है। दिन बदलते हैं, मौसम बदलते हैं और वनस्पतियां भी बदलती हैं। जीवन का भी यही ढंग है। इसे समझ लेने के बाद जीवन सरल और सहज हो जाता है। आज समय इस विश्वास के साथ जीने का है कि वैश्विक महामारी के अंधेरे को चीर आनंद का सूर्य फिर चमकेगा।

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